गुलाबी गेंद के सामने बल्लेबाजों को हर वक्त रहना होगा चौकन्ना
गुलाबी गेंद के सामने बल्लेबाजों को हर वक्त रहना होगा चौकन्ना

November 21, 2019 • Naveen Ghildiyal


गुलाबी गेंद बल्लेबाज व गेंदबाज ही नहीं, मैदानी अंपायरों के लिए भी नई चुनौतियां पेश करेगी। एशिया में गुलाबी गेंद से खेले गए पहले मैच में मैदानी अंपायर रहे प्रेमदीप चटर्जी ने खास बातचीत में यह बात कही। बीसीसीआइ के वरिष्ठ अंपायरों में शुमार प्रेमदीप ने कहा कि ईडन में भारत-बांग्लादेश के बीच भारत के पहले डे-नाइट टेस्ट मैच के दौरान मैदानी अंपायरों को हर पल बेहद सजग रहना होगा। हरेक गेंद पर खास नजर रखनी होगी। उन्हें मैच के दौरान शायद ही चैन की सांस लेना का पल मिले।


अब तक तीन गुलाबी गेंद वाले मैचों में अंपायरिंग कर चुके प्रेमदीप ने पहले मैच का अनुभव साझा करते हुए कहा, 'एशिया के पहले गुलाबी गेंद वाले मैच का आयोजन ईडन में 18 से 21 जून, 2016 तक हुआ था। चार दिवसीय वह मैच कोलकाता सुपर लीग का फाइनल था, जो मोहनबगान और भवानीपुर के बीच था। उस मैच में मेरे साथी मैदानी अंपायर अभिजीत भट्टाचार्य थे। मोहनबगान ने खिताबी मैच जीता था। विजयी टीम की ओर से मुहम्मद शमी ने जबरदस्त गेंदबाजी करते हुए एक पारी में पांच विकेट चटकाए थे, वहीं अरिंदम घोष ने गुलाबी गेंद से एशिया में पहला शतक लगाया था।


बीसीसीआइ की छत्रछाया में हुए करीब 500 मैचों में अंपायरिंग कर चुके प्रेमदीप ने आगे कहा, 'चूंकि एशिया में पहली बार गुलाबी गेंद से कोई मैच होने जा रहा था, इसलिए सबके मन में यही सवाल था कि गुलाबी गेंद कैसा बर्ताव करेगी। वह बल्लेबाजों व गेंदबाजों के लिए कितनी आसान या मुश्किल होगी। बतौर मैदानी अंपायर, मेरे मन में भी कई सवाल उमड़ रहे थे, इसलिए उस मैच से पहले मुझे भी काफी तैयारियां करनी पड़ी थी। मैंने गुलाबी गेंद से उस समय तक हुए सारे अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैचों का गहराई से अध्ययन किया था।


घातक साबित होगी ऑर्मर गेंद


प्रेमदीप का अनुमान है कि 'आर्मर' गेंद बल्लेबाजों के लिए घातक साबित हो सकती है। यह गेंद टप्पा खाने के बाद स्किड करके इतनी तेजी से अंदर आएगी कि बल्लेबाजों के लिए उसे खेलना काफी मुश्किल हो जाएगा। रवींद्र जडेजा इस तरह की गेंद डालने में माहिर हैं, इसलिए वह बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं। वहीं, मध्यम गति के गेंदबाजों को ज्यादा प्रयोग न करके लाइन व लेंथ पर ध्यान देना चांिहए।